9 फ़र॰ 2010

वाह-वाह महंगाई

दोस्तों

इस बीच मेरा कई गावों में जाना हुआ। मैंने शहरो और कस्बो कई गरीब बस्तियों में भी जाकर देखा । लोग बुरी तरह बेहाल हैं। भला ३०००-५००० माह कमाने वाला इंसान कैसे अपना और अपने परिवार का पेट इस गरीबी में भर सकता है। सबको मुश्किल पड़ रही है,लेकिन हमारे ग्यानवान अर्थशास्त्री निशिचिंत हैं,वे खुश हैं की विकास दर बढ़ रही है.उनके साथ देश का एक तबका भी खुश है, जो उनकी हाँ में हाँ मिला रहा है.वाह रे आम आदमी के मसीहा ,

सही है चुना भी तो सोनियाजी ने है तो उनके स्तर की महंगाई रखना ही है, यही तो स्वामिभक्ति होगी.काश देश की लोकसभा से प्रधानमंत्री चुना जाता.उसे शायद थोडा बहुत अहसास होता, शायद उस इलाके की जनता पूछती, ये तो राज्यों पर आरोप लगाकर खुश राज्य केंद्र पर आरोप लगाकर खुश , क्या गजब की नूर कुश्ती।

वाह सोनिया वाह राहुल,

कहाँ से लाये आम आदमी के लिए।

मनमोहन,शरद और मोंटेक ,

खास हैं ,खास ही रहेंगें,

आम के लिए नहीं है इनका दिल।

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