19 अग॰ 2017

कहै घाघ सुन भड्डरी




कहै घाघ सुन भड्डरी
ये बाते जब की हैं जब अजनबी नही थे, ज़मीन और आसमान. 

० दिन में गरमी रात में ओस
कहे घाघ बरखा सौ कोस !
० खेती करै बनिज को धावै, ऐसा डूबै थाह न पावै।
० खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत।
० उत्तम खेती जो हर गहा, मध्यम खेती जो संग रहा।
० जो हल जोतै खेती वाकी, और नहीं तो जाकी ताकी।
० गोबर राखी पाती सड़ै, फिर खेती में दाना पड़ै।
० सन के डंठल खेत छिटावै, तिनते लाभ चौगुनो पावै।
० गोबर, मैला, नीम की खली, या से खेती दुनी फली।
० वही किसानों में है पूरा, जो छोड़ै हड्डी का चूरा।
० छोड़ै खाद जोत गहराई, फिर खेती का मजा दिखाई।
० सौ की जोत पचासै जोतै, ऊँच के बाँधै बारी
जो पचास का सौ न तुलै, देव घाघ को गारी।
० सावन मास बहे पुरवइया
बछवा बेच लेहु धेनु गइया।
० रोहिनी बरसै मृग तपै, कुछ कुछ अद्रा जाय
कहै घाघ सुन घाघिनी, स्वान भात नहीं खाय।
० पुरुवा रोपे पूर किसान
आधा खखड़ी आधा धान।
० पूस मास दसमी अंधियारी
बदली घोर होय अधिकारी।
० सावन बदि दसमी के दिवसे
भरे मेघ चारो दिसि बरसे।
० पूस उजेली सप्तमी, अष्टमी नौमी जाज
मेघ होय तो जान लो, अब सुभ होइहै काज।
०सावन सुक्ला सप्तमी, जो गरजै अधिरात
बरसै तो झुरा परै, नाहीं समौ सुकाल।
० रोहिनी बरसै मृग तपै, कुछ कुछ अद्रा जाय
कहै घाघ सुने घाघिनी, स्वान भात नहीं खाय।
० भादों की छठ चांदनी, जो अनुराधा होय
ऊबड़ खाबड़ बोय दे, अन्न घनेरा होय।
० अंडा लै चीटी चढ़ै, चिड़िया नहावै धूर
कहै घाघ सुन भड्डरी वर्षा हो भरपूर ।
० दिन में बद्दर रात निबद्दर ,
बहे पूरवा झब्बर झब्बर
कहै घाघ अनहोनी होहिं
कुआं खोद के धोबी धोहिं ।
० शुक्रवार की बादरी रहे शनिचर छाय
कहा घाघ सुन घाघिनी बिन बरसे ना जाय
० काला बादल जी डरवाये
भूरा बादल पानी लावे.
० तीन सिंचाई तेरह गोड़
तब देखो गन्ने का पोर.
 

Saakhi: Bol Skhee Re ( साहित्यिक सरोकारों से प्रतिबद्ध ): Love in barriers (मोहब्बत में दीवारें )

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5 जुल॰ 2013

आज की ज़रुरत


आज की ज़रुरत

स्कूलों का नया सत्र शुरू हो गया है. बच्चे एक से रंग में स्कूल जाते दिखने लगे हैं.(क्योंकि यूनिफार्म रंग कब रह्ने देती है.) अब बारी गुरुजनो की है कि वे स्कूल को इस रूप में बदले जहॉ बच्चे आनंद मह्सूस कर सकें. ह‍ंस सके. गुनगुना सके. हर दिन कुछ नया सीख सके. बच्चों के समय का अर्थपूर्ण उपयोग हो. कुल मिलाकर बच्चों में ऐसी फीलिंग बने कि उनके लिये सबसे उपयुक्त जगह यही है. ऐसा सब हो पाये, इसके लिये क्या किया जाये ? मैं समझता हूं कि पिछ्ली ट्रेनिंग्स याद की जायें तो ढेर से बिंदु मिल जायेंगे, जिन पर काम कर सकते है. मेरी नज़र में कुछ काम हो सकते हैं‌- 

·        1.प्रार्थना सभा, मिड डे मील की व्यवस्था के लिये बच्चों के साथ मिलकर तय कीजिए, उनकी भागीदारी बढाईये और उन्हे ही संचालित करने दीजिए.(आप केवल मदद कीजिए).

·        2. बच्चों ने छुट्टियों में बहुत कुछ किया है, रोज एक घंटा कुछ बच्चों के अनुभव सुनिए. उन्हे छेडिए. रस लीजिए.

·        3.कुछ दिनो के अनुशासन ताक पर रख दें, जहॉ व्यवस्था बिगडे, एक गिलास पानी पिये फिर बच्चों से बात करें.  

·        4.स्कूल का बक्सा खोले, बच्चों की मदद से उसे पुस्तकालय का रूप दें और किताबो पर रोज कम से कम खुद आधा घंटा काम बच्चों के साथ मिलकर करें. आधा घंटा काम बच्चे खुद से करें.

  वैसे ये सुझाव सफल हैं और परखे हुए हैं, लेकिन गुरुजन अपनी ज़रूरत के मुताबिक खुद सोचकर तय कर सकते हैं. इनका रिजल्ट तो बच्चों के व्यवहार से और उनकी आंखों में दिखेगा.

        और आखिर में. मज़ा जब आयेगा जब इन काम के अनुभवो को शेयर किया जाये.

मुकेश भार्गव, लखनऊ.

20 जून 2013

क्या भूलूं क्या याद करूं


 क्या भूलूं क्या याद करूं

आज मन कुछ भारी भारी सा है. नहीं समझ पा रहा हूं, क्यों? पर है. शायद उत्तराखण्ड के हादसे के कारण हो या नरेंद्र द्वारा सुमरनी में जयप्रकाश शाला के बहाने पुरानी यादों में डूबने के कारण हो. खैर जो भी हो मन में सहजता तो नहीं है, कुछ खलबली सी है. सब कुछ जानते बुझते हम अजीब सी गलतियॉ करते जा रहे है, फिर जमाने को दोष देते फिरते हैं.

·        दो प्रायमरी स्कूल तोडे जायेगें, क्योंकि वे शहर के बीच में हैं और वहॉ मॉर्केट बनाना फायदे का सौदा है.

·        फेसबुक, टी.वी., चैनल पर आपसी चर्चा में रोज मोदी, राहुल, नीतिश, की चर्चा करते रहेगे. जबकि हम अच्छे से जानते है, इनमें से कोई भी ताकतवर हो जाये, बात नहीं बनेगी.

·        बाल शिक्षा अधिनियम बने तीन साल हो गये, एक भी राज्य सरकार ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभायी और केंद्र सरकार ने कोई दबाब नहीं बनाया. अब लोग लडे तो कहॉ तक और कितना?

·        2014 के आम चुनाव आने वाले हैं. कॉग्रेसनीत सरकार ने जितना आम जनता के खिलाफ काम किया है, उसके बदले में कॉग्रेंस सरकार की हार तय की जानी चाहिये थी, पर आम जनता के पक्षधरों के पास कोई योजना ही नहीं है.